Train Accident- अस्पताल में खोजा पर नहीं मिला बेटा, फिर बे-मन गए मुर्दा घर, शवों के ढेर में हिलता दिखा हाथ और…

बालासोर ट्रेन हादसे में दो सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और करीब एक हजार यात्री घायल हुए हैं। इस हादसे के बाद ट्रेन में सवार लोगों को उनके परिजनों द्वारा खोजने के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। हावड

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बालासोर ट्रेन हादसे में दो सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और करीब एक हजार यात्री घायल हुए हैं। इस हादसे के बाद ट्रेन में सवार लोगों को उनके परिजनों द्वारा खोजने के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। हावड़ा के एक दुकानदार हेलाराम मलिक भी उन लोगों में से एक हैं, जिनका बेटा इस हादसे में घायल हुआ है। हेलाराम उन खुशनसीब लोगों में से भी एक हैं, जो अपने बच्चे को ‘मौत के मुंह’ से बाहर निकाल लाए हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दरअसल हेलाराम हावड़ा में एक दुकान चलाते हैं। कोरोमंडल एक्सप्रेस के हादसे वाले दिन वो अपने बेटे बिश्वाजीत को शालीमार स्टेशन छोड़कर आए थे। हादसे के बाद जब उन्होंने अपने बेटे को कॉल किया तो वहां से सिर्फ यह जवाब मिला कि वो जिंदा है लेकिन उसे बहुत ज्यादा दर्द से कराह रहा है।

इतनी जानकारी मिलने के बाद हेलाराम ने एक पल की देर नहीं की। उन्होंने एक लोकल एंबुलेंस ड्राइवर पलाश पंडित को फोन लगाया और अपने साले दीपक दास को अपने साथ चलने के लिए कहा। हेलाराम उसी रात बालासोर के लिए निकल लिए। वो उस रात 230 किलोमीटर की दूरी तय कर बालासोर पहुंचे लेकिन उन्हें किसी भी अस्पताल में बिश्वाजीत नहीं मिला।

हेलाराम के साले दीपक दास कहते हैं कि हमने हिम्मत नहीं हारी। हम लगातार वहां के लोगों से पूछते रहे, ताकि हमें यह पता चल सके कि अब हमें कहां जाना चाहिए। एक व्यक्ति ने हमें कहा कि अगर बेटा अस्पताल में नहीं मिला है तो हमें बहनगा हाई स्कूल जाना चाहिए, जहां शव रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह बात स्वीकार करना आसान नहीं था लेकिन फिर भी वहां गए।

दीपक दास ने कहा कि हमें वहां बहुत सारे शव दिखाई दिए। उन्होंने कहा, “हमें खुद शव देखने की इजाजत नहीं थी। कुछ देर बाद जब किसी ने एक व्यक्ति का दाहिना हाथ कांपता देखा तो हंगामा मच गया। चूंकि हम वहीं थे, हमने देखा कि यह हाथ बिश्वजीत का था, जो बेहोश था और बुरी तरह घायल था। हम तुरंत उसे एम्बुलेंस में बालासोर अस्पताल ले गए, जहां उसे कुछ इंजेक्शन दिए गए। उसकी स्थिति को देखते हुए उन्होंने उसे कटक मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन हमने एक बांड पर हस्ताक्षर किए और उसे छुट्टी दे दी।”

बिश्वाजीत की कोलकाता के SKKM अस्पताल में सर्जरी की गई है। उनकी आज एक और सर्जरी की जा सकती है। वह गंभीर रूप से घायल है लेकिन स्थिर है। एंबुलेंस ड्राइवर पलाश पंडित ने बताया कि बालासोर से कोलकाता तक बिश्वाजीत को पूरे रास्ते होश नहीं आया। उन्होंने बताया कि हम सुबह साढ़े आठ बजे SSKM पहुंचे, जहां बिश्वाजीत को भर्ती किया गया। बिस्वजीत को अभी तक होश नहीं आया है। रविवार को उनके टखने की सर्जरी हुई। सोमवार को उनके पैर की एक और सर्जरी होगी। उनके दाहिने हाथ में कई फ्रैक्चर हैं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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